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mungfali ki kheti kaise kare मूंगफली की खेती

mungfali ki kheti kaise kare
mungfali ki kheti kaise kare

मूंगफली की खेती

मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जो भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। इसमें निवेश की कम आवश्यकता होती है, लेकिन सही प्रबंधन और तकनीक के साथ यह किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। इस लेख में हम मूंगफली की खेती के विभिन्न चरणों, आवश्यकताओं, निवेश, और लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

भूमि और जलवायु की आवश्यकता

मूंगफली की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें अच्छी जल निकासी हो। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मूंगफली गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपती है, जिसमें तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।

बीज की तैयारी और बुवाई का समय

उत्तम गुणवत्ता वाले, रोग-मुक्त बीज का चयन करें। प्रति हेक्टेयर 100-120 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई का समय क्षेत्रीय जलवायु पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः खरीफ में जून-जुलाई और रबी में अक्टूबर-नवंबर में बुवाई की जाती है।

खेत की तैयारी

खेत की 2-3 बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। इसके बाद खेत को समतल कर लें और गोबर की खाद डालें। जल निकासी का उचित प्रबंध करें ताकि फसल को कोई नुकसान न हो।

बुवाई की विधि

मूंगफली की बुवाई कतारों में करें। कतारों के बीच की दूरी 30-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10-15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बीज को 5-6 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि बीजों का अंकुरण अच्छा हो।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

मूंगफली की फसल के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का सही अनुपात में उपयोग करें। फॉस्फोरस के लिए सिंगल सुपर फॉस्फेट और नाइट्रोजन के लिए यूरिया का उपयोग किया जा सकता है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का भी ध्यान रखें।

सिंचाई प्रबंधन

मूंगफली की फसल को 4-5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, दूसरी फूल आने के समय, तीसरी फली बनने के समय और चौथी फसल पकने के समय करें। पानी की कमी से पैदावार पर असर पड़ सकता है।

रोग और कीट प्रबंधन

मूंगफली में सफेद मक्खी, अफलोटॉक्सिन, तना गलन, जड़ गलन जैसे कीट और रोग लग सकते हैं। इनसे बचाव के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें। फसल चक्र अपनाएं और खेत की नियमित निगरानी करें।

फसल की कटाई

मूंगफली की फसल 120-140 दिनों में पक जाती है। कटाई के समय पौधों को जड़ सहित उखाड़ लें और मूंगफली की फली को पौधों से अलग कर लें। इसके बाद फसल को 3-4 दिनों तक धूप में सुखाएं।

निवेश और बजट

मूंगफली की खेती में निवेश अपेक्षाकृत कम होता है। प्रति हेक्टेयर की बुवाई के लिए अनुमानित खर्च निम्न प्रकार से होता है:

  • बीज: ₹5000-₹6000
  • खाद और उर्वरक: ₹3000-₹4000
  • सिंचाई: ₹2000-₹3000
  • जुताई और बुवाई: ₹4000-₹5000
  • कीटनाशक: ₹2000-₹3000

कुल खर्च: ₹16000-₹21000 प्रति हेक्टेयर।

लाभ और मुनाफा

मूंगफली की प्रति हेक्टेयर पैदावार 15-20 क्विंटल हो सकती है। यदि प्रति क्विंटल मूंगफली का बाजार मूल्य ₹5000 है, तो प्रति हेक्टेयर आय लगभग ₹75,000-₹1,00,000 तक हो सकती है। निवेश और खर्च के बाद, किसान को शुद्ध लाभ ₹50,000-₹80,000 प्रति हेक्टेयर मिल सकता है। यह मुनाफा सही प्रबंधन और अच्छी कृषि तकनीकों पर निर्भर करता है।

उत्पादन और विपणन

अच्छी पैदावार के लिए उन्नत कृषि तकनीकों का पालन करें। कटाई के बाद मूंगफली को स्थानीय बाजारों या प्रसंस्करण इकाइयों में बेच सकते हैं। विपणन की उचित योजना बनाकर बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

उन्नत किस्मों का चयन

मूंगफली की खेती में बेहतर पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है। कुछ प्रमुख किस्में जैसे TG 37A, JL 24, ICGS 11 आदि अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता देती हैं।

फसल चक्र (Crop Rotation)

मूंगफली की फसल के बाद दलहन या हरी खाद वाली फसल बोने से मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है। इससे भूमि की नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है, जो अगली फसल के लिए लाभकारी होती है।

रख-रखाव और निगरानी

मूंगफली की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए नियमित निरीक्षण आवश्यक है। खेतों की साफ-सफाई और अवांछित घास को हटाने से फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप कम होता है।

बाजार का अध्ययन और बिक्री रणनीति

कटाई के बाद मूंगफली को सीधे बाजार में बेचने की बजाय, उसके मूल्य को समझकर और भंडारण कर सही समय पर बेचना अधिक लाभदायक हो सकता है। इसके लिए बाजार का अध्ययन और बिक्री की रणनीति बनाना महत्वपूर्ण है।

सहायता और सब्सिडी

सरकार द्वारा मूंगफली की खेती के लिए कई प्रकार की सहायता और सब्सिडी प्रदान की जाती है। किसान इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी खेती की लागत को कम कर सकते हैं। सरकारी कृषि विभाग और स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क करके इन योजनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

इन अतिरिक्त जानकारीयों को ध्यान में रखते हुए, किसान अपनी मूंगफली की खेती को और भी अधिक लाभकारी बना सकते हैं।

उपसंहार

मूंगफली की खेती से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होता है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। उचित प्रबंधन और तकनीकों का पालन कर किसान मूंगफली की फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके साथ ही, इसमें निवेश की अपेक्षाकृत कम आवश्यकता होती है, जिससे छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

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