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दिसंबर में चने की खेती: इन 5 आसान टिप्स से पैदावार होगी दोगुनी!

Gram cultivation month in india 2024

चने की खेती

चना की खेती भारतीय किसानों के लिए हमेशा से एक मुनाफेदार और स्थिर विकल्प रही है। विशेषकर दिसंबर का महीना चने की खेती के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान खेती की सही तकनीकों और सावधानियों का पालन करने से न केवल फसल का उत्पादन बढ़ता है, बल्कि किसानों को अधिक मुनाफा भी होता है। अगर आप भी चने की खेती करना चाहते हैं, तो यहां आपको पूरी जानकारी मिलेगी कि किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए।

1. बुवाई का सही समय: फसल की सफलता की पहली सीढ़ी

चने की बुवाई का सही समय फसल की गुणवत्ता और उपज पर बड़ा प्रभाव डालता है। आमतौर पर नवंबर के अंत से दिसंबर की शुरुआत तक चने की बुवाई करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। इससे फसल को मौसम के अनुकूल बढ़ने का समय मिलता है।
बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी जैसे वीटावैक्स (20 ग्राम प्रति किग्रा बीज), थीरम या कैप्टान (2-5 ग्राम प्रति किग्रा बीज) से उपचारित करना बेहद जरूरी है। यह बीज जनित और मिट्टी जनित रोगों को रोकने में मदद करता है।


2. बीज का चयन: गुणवत्तापूर्ण बीजों का महत्व

उत्तम फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बीजों का चयन बेहद जरूरी है। चने की खेती में बीज की मात्रा फसल की किस्म पर निर्भर करती है:

  • छोटे दाने वाली किस्मों के लिए 75-60 किग्रा/हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है।
  • बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 90-100 किग्रा/हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है।

बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम और पीएसबी कल्चर जैसे जैविक उपचार से तैयार करना चाहिए। इससे पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया बेहतर होती है और फसल की वृद्धि में सुधार होता है।


3. उन्नत प्रजातियों का चयन: उत्पादन बढ़ाने का प्रमुख कारक

चना की खेती के लिए देसी और काबुली दोनों प्रकार की प्रजातियां उगाई जाती हैं। लेकिन सही प्रजाति का चयन उत्पादन और गुणवत्ता पर बड़ा प्रभाव डालता है।

उन्नत देसी प्रजातियां:

  • पूसा-372
  • जेजी 11, जेजी 12, जेजी 16
  • आरएसजी 888, डीसीपी-92-3
  • हरियाणा चना-1

उन्नत काबुली प्रजातियां:

  • पूसा चमत्कार
  • जवाहर काबुली चना-1
  • विजय, फूले जी-95311
  • जेजीके 1, जेजीके 2

ये प्रजातियां रोग प्रतिरोधक होती हैं और उकठा रोग से बचाव करती हैं। सही प्रजातियों का चयन न केवल पैदावार बढ़ाता है, बल्कि बाजार में ऊंचे दाम दिलाने में भी मदद करता है।

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4. भूमि की तैयारी: उपजाऊ मिट्टी का महत्व

चना की खेती के लिए मध्यम से भारी और अच्छे जल निकासी वाली मिट्टी सबसे अनुकूल होती है। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह जोतना और पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाना जरूरी है। इससे जड़ों को अच्छी बढ़त मिलती है और पौधों को आवश्यक पोषण मिलता है।
साथ ही, मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी का पीएच संतुलित नहीं है, तो चने की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


5. खाद और उर्वरक: संतुलन है सफलता की कुंजी

संतुलित उर्वरक और खाद का उपयोग चने की फसल को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है।

  • नाइट्रोजन: 20 किग्रा/हेक्टेयर
  • फास्फोरस: 40-50 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश: 20 किग्रा/हेक्टेयर

इनके अलावा, जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और उत्पादन सुधारने में मदद करता है।


6. सिंचाई प्रबंधन: फसल को नमी की सही मात्रा दें

चना एक सूखा प्रतिरोधक फसल है, इसलिए इसे अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती। हालांकि, अगर मिट्टी में नमी की कमी हो, तो फसल को नुकसान से बचाने के लिए समय पर हल्की सिंचाई करें।

  • पहली सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद करें।
  • अधिक सिंचाई से बचें क्योंकि इससे फसल में जड़ सड़न और उकठा रोग का खतरा बढ़ जाता है।

7. फसल सुरक्षा: रोग और कीट प्रबंधन

चना की फसल को उकठा रोग, चने की इल्ली और स्टेम फ्लाई जैसे रोग और कीटों से बचाना जरूरी है।

  • उकठा रोग: उन्नत और रोग प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करें।
  • चने की इल्ली: एनपीवी स्प्रे (250 एलई प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • स्टेम फ्लाई: उचित बीज उपचार से इस समस्या को रोका जा सकता है।

8. बाजार में उपज का मूल्य: मुनाफे के लिए सही रणनीति अपनाएं

दिसंबर में चने की फसल तैयार होने के बाद, बाजार की मांग और सही समय पर बिक्री करना मुनाफे के लिए बेहद जरूरी है। काबुली चने की किस्मों की बाजार में अधिक मांग होती है और इसके दाम भी बेहतर मिलते हैं।


निष्कर्ष: चने की खेती से मुनाफा बढ़ाने का तरीका

दिसंबर का महीना चने की खेती के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सही समय पर बुवाई, उन्नत बीजों का चयन, उर्वरक संतुलन और फसल सुरक्षा पर ध्यान देकर किसान अपनी उपज में सुधार कर सकते हैं।
इस सीजन, चने की खेती को बेहतर तकनीकों और सही प्रबंधन से उन्नत बनाएं और अधिक मुनाफा कमाएं।

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