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हिमाचल प्रदेश शिवा योजना: किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! इस राज्य में वर्मी कंपोस्ट पर मिल रही है ₹300 की सहायता

हिमाचल प्रदेश शिवा योजना

हिमाचल प्रदेश शिवा योजना

हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि में जैविक एवं प्राकृतिक पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के किसानों को न केवल वित्तीय सहायता मिल रही है, बल्कि आधुनिक और टिकाऊ खेती को अपनाने का अवसर भी दिया जा रहा है।

हाल ही में राज्य सरकार ने जैविक खाद और वर्मी कंपोस्ट के लिए किसानों को 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करने की योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस योजना का शुभारंभ करते हुए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से 100 किसानों को 1 लाख रुपये का भुगतान किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना और किसानों की उत्पादन लागत को कम करना है।

शिवा योजना: बागवानी फसलों के लिए विशेष प्रोत्साहन

बागवानी को एक प्रमुख आय स्रोत बनाने के लिए राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश शिवा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत राज्य में बागवानी विकास पर 1,292 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। यह परियोजना 7 जिलों में 6,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को कवर करेगी। इसमें मुख्य रूप से संतरा, अमरूद, लीची और बेर जैसे फलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।

शिवा योजना का उद्देश्य न केवल फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि इसे बाजार से जोड़कर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी है। इस परियोजना से 15,000 से अधिक किसान परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। यह पहल राज्य की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन: ‘हिम भोग आटा’ की अनूठी पहल

जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने ‘हिम भोग आटा’ नामक ब्रांड लॉन्च किया है। फिलहाल, इस ब्रांड के तहत मक्के का आटा उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि भविष्य में गेहूं का आटा भी इसमें शामिल किया जाएगा। इस आटे को पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से उगाई गई फसलों से तैयार किया जाएगा।

हिम भोग आटा का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देना और रसायनमुक्त खाद्य उत्पादों की मांग को पूरा करना है। यह पहल किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करेगी, जिससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा।

जैविक खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट का महत्व

वर्मी कंपोस्ट जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह खाद न केवल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी सुधार करता है। हिमाचल प्रदेश सरकार की नई योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट पर 300 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देकर किसानों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे न केवल उत्पादन लागत कम होगी, बल्कि किसानों को पर्यावरण-अनुकूल खेती का लाभ भी मिलेगा।

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किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार के अन्य प्रयास

हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके तहत:

  • नई तकनीकों का उपयोग: राज्य सरकार किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण और तकनीकों से परिचित करा रही है।
  • बाजार में सीधा संपर्क: किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार उन्हें स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ रही है।
  • प्राकृतिक खेती: जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे उठाएं?

अगर आप हिमाचल प्रदेश के किसान हैं, तो इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अपनी नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय से संपर्क करें। इन योजनाओं में भाग लेने के लिए:

  1. जैविक खेती अपनाएं और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें।
  2. बागवानी फसलों की खेती के लिए शिवा योजना में आवेदन करें।
  3. प्राकृतिक खेती के लिए ‘हिम भोग आटा’ योजना का हिस्सा बनें।

निष्कर्ष: हिमाचल के किसानों के लिए सुनहरा अवसर

हिमाचल प्रदेश सरकार की ये योजनाएं न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगी, बल्कि जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगी। चाहे वह वर्मी कंपोस्ट पर सब्सिडी हो, शिवा योजना के जरिए बागवानी का विकास, या हिम भोग आटा का ब्रांड, ये पहल राज्य के किसानों को सशक्त बनाने के लिए बड़े कदम हैं।

अगर आप भी हिमाचल प्रदेश के किसान हैं, तो इन योजनाओं का लाभ उठाएं और अपनी खेती को उन्नत बनाकर बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।

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